पटरी पर दौड़ी 'अच्छे दिनों' की ट्रेन, ना किराया बढ़ा, ना मालभाड़ा
रेल मंत्री सुरेश प्रभु का दूसरा बजट आम जनता के लिए राहत भरा रहा। इस रेल बजट में प्रभु ने आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए रेल किराए में किसी भी तरह की बढ़ोत्तरी नहीं की है। इसके साथ ही माल भाड़ा भी नहीं बढ़ाया गया है। बजट से पूर्व जनता की सबसे बड़ी मांग यही थी कि किसी भी रूप में यात्री किराए में बढ़ोत्तर ना की जाए, ताकि रेल के सफर से उनकी जेब पर कोई असर नहीं पड़े और इस बजट में प्रभु वास्तव में जनता के लिए \'प्रभु\' बने और इनकी यात्री भाड़े में किसी भी तरह की बढ़ोत्तरी ना कर जनता को बड़ी राहत दी है।
किराया-मालभाड़ा नहीं बढ़ाने के पीछे का कारण जानें
अपने बजट भाषण के दौरान ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि अब तक भारतीय रेल ने राजस्व बढ़ाने के लिए किराया बढ़ाने पर ही विशेष जोर दिया है। हम इस बदलना चाहते हैं और परिवहन के क्षेत्र में हमारे हिस्से को दोबारा पाने के लिए हम मालभाड़ा नीतियों पर अपनी परंगरागत सोच को बदलना चाहते हैं। हम राजस्व के नए स्त्रोतों का दोहन करेंगे ताकि प्रत्येक दृश्य या अदृश्य परिसंपत्ति को अधिकाधिक भुनाया जा सके। रेल मंत्री ने कहा कि अधिकतम उत्पादका सुनिश्चित करने के लिए खर्च होने वाले एक-एक रुपए की फिर से जांच की जाएगी। हम आगमी वर्ष में वित्तीय दृष्टि से शून्य आधारित बजट प्रक्रिया की अवधारणा अपनाएंगे। हम अपने कार्यकुशलता के मानदंंडों और खरीद प्रक्रियाओं में सुधार करके उन्हें अंतराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के समकक्ष बनाएंगे। हम अपने प्रत्येक क्रिया कलाप को कुशलता से पूरा करेंगे और परिणाम भी प्राप्त करेंगे।
रेल मंत्रालय से सर्वे ने उड़ाए थे होश
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही खबरें सामने आ रही थीं कि इस बार रेल बजट में यात्री किराए में दस प्रतिशत और माल भाड़े में पांच प्रतिशत किराया बढ़ाया जा सकता है। इसे लेकर रेल मंत्रालय ने किराया बढ़ाने को लेकर सर्वे भी कराया था। उस वक्त कहा जा रहा था कि बड़ा हुआ किराया चुनिंदा मार्गों पर ही बढ़ाया जा सकता है।
पिछली बार क्या हुआ था माल भाड़ा बढऩे के बाद
प्रभु ने अपने पिछले रेल बजट में मालभाडे में बढ़ोत्तरी करते हुए अनाज, दालों और यूरिया के ढुलाई भाड़े में रिकॉर्ड 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी।प्रभु ने बेहद शातिर तरीके से खाने वाले नमक की ढुलाई भाड़े में फेरबदल किया है, ताकि लोगों को लगे कि नमक की ढुलाई सस्ती होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल उन्होंने खाने वाले नमक की ढुलाई का क्लास तो 110 से घटा कर 100 कर दिया, लेकिन क्लास 100 के लिए माल भाड़े के ढांचे में 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है।
खाद्यान्न एवं दालों की ढुलाई में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी से बाजार में गेहूं, मक्का से लेकर दाल तक महंगी हो गई। यही नहीं, यूरिया की ढुलाई में भी 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई थी। इसका सीधा असर खाने-पीने की वस्तुओं पर पढ़ा, क्योंकि जब किसानों को महंगा यूरिया मिलेगा तो साग-सब्जी से लेकर तमाम कृषि उत्पाद महंगे हो गए। कोयले की ढुलाई में 6.3 फीसदी की बढ़ोत्तरी भी गई।
किराया-मालभाड़ा नहीं बढ़ाने के पीछे का कारण जानें
अपने बजट भाषण के दौरान ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि अब तक भारतीय रेल ने राजस्व बढ़ाने के लिए किराया बढ़ाने पर ही विशेष जोर दिया है। हम इस बदलना चाहते हैं और परिवहन के क्षेत्र में हमारे हिस्से को दोबारा पाने के लिए हम मालभाड़ा नीतियों पर अपनी परंगरागत सोच को बदलना चाहते हैं। हम राजस्व के नए स्त्रोतों का दोहन करेंगे ताकि प्रत्येक दृश्य या अदृश्य परिसंपत्ति को अधिकाधिक भुनाया जा सके। रेल मंत्री ने कहा कि अधिकतम उत्पादका सुनिश्चित करने के लिए खर्च होने वाले एक-एक रुपए की फिर से जांच की जाएगी। हम आगमी वर्ष में वित्तीय दृष्टि से शून्य आधारित बजट प्रक्रिया की अवधारणा अपनाएंगे। हम अपने कार्यकुशलता के मानदंंडों और खरीद प्रक्रियाओं में सुधार करके उन्हें अंतराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के समकक्ष बनाएंगे। हम अपने प्रत्येक क्रिया कलाप को कुशलता से पूरा करेंगे और परिणाम भी प्राप्त करेंगे।
रेल मंत्रालय से सर्वे ने उड़ाए थे होश
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही खबरें सामने आ रही थीं कि इस बार रेल बजट में यात्री किराए में दस प्रतिशत और माल भाड़े में पांच प्रतिशत किराया बढ़ाया जा सकता है। इसे लेकर रेल मंत्रालय ने किराया बढ़ाने को लेकर सर्वे भी कराया था। उस वक्त कहा जा रहा था कि बड़ा हुआ किराया चुनिंदा मार्गों पर ही बढ़ाया जा सकता है।
पिछली बार क्या हुआ था माल भाड़ा बढऩे के बाद
प्रभु ने अपने पिछले रेल बजट में मालभाडे में बढ़ोत्तरी करते हुए अनाज, दालों और यूरिया के ढुलाई भाड़े में रिकॉर्ड 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी।प्रभु ने बेहद शातिर तरीके से खाने वाले नमक की ढुलाई भाड़े में फेरबदल किया है, ताकि लोगों को लगे कि नमक की ढुलाई सस्ती होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल उन्होंने खाने वाले नमक की ढुलाई का क्लास तो 110 से घटा कर 100 कर दिया, लेकिन क्लास 100 के लिए माल भाड़े के ढांचे में 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है।
खाद्यान्न एवं दालों की ढुलाई में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी से बाजार में गेहूं, मक्का से लेकर दाल तक महंगी हो गई। यही नहीं, यूरिया की ढुलाई में भी 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई थी। इसका सीधा असर खाने-पीने की वस्तुओं पर पढ़ा, क्योंकि जब किसानों को महंगा यूरिया मिलेगा तो साग-सब्जी से लेकर तमाम कृषि उत्पाद महंगे हो गए। कोयले की ढुलाई में 6.3 फीसदी की बढ़ोत्तरी भी गई।
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